Welcome to Shashi Raj Foundation, where we are dedicated to helping individuals break free from the chains of addiction and rebuild their lives. Established with the vision of creating a drug-free society, our foundation has become a trusted name in the field of addiction recovery.
At Shashi Raj Foundation, we offer a comprehensive range of services, including drug rehabilitation, drug de-addiction, drug & alcohol rehab, and Nasha Mukti programs. Our team of experienced professionals is committed to providing personalized care and support to each individual, guiding them through every step of their recovery journey.
We believe in a holistic approach to treatment, addressing not only the physical aspects of addiction but also the emotional and psychological challenges that come with it. Our state-of-the-art facilities, combined with our compassionate care, create a nurturing environment where individuals can heal and thrive.
Our mission is to empower individuals to overcome addiction and lead fulfilling, healthy lives. We are proud to be a part of their transformation and are committed to making a lasting impact on the lives of those we serve. At Shashi Raj Foundation, your recovery is our priority.
नशा एक गंभीर सामाजिक बुराई है जो व्यक्ति के अनमोल जीवन को समय से पहले ही समाप्त कर देती है। समाज में शराब, गांजा, भांग, अफीम, जर्दा, गुटखा, तम्बाकू और धूम्रपान (बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम) के साथ-साथ चरस, स्मैक, कोकीन, ब्राउन शुगर जैसी घातक मादक दवाओं का उपयोग किया जा रहा है। इन जहरीले और नशीले पदार्थों का सेवन न केवल व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाता है, बल्कि इससे सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता है।
जब बीड़ी, सिगरेट, गांजा, भांग, अफीम, या चरस जैसे पदार्थों से पर्याप्त नशा नहीं मिलता, तो लोग शराब और हेरोइन जैसे मादक पदार्थों की ओर बढ़ते हैं। नशा, चाहे जो भी हो, व्यक्तित्व के विनाश, गरीबी की वृद्धि, और मृत्यु के द्वार खोलता है। इसके कारण परिवार तक टूट रहे हैं। आज का युवा शराब और हेरोइन जैसे मादक पदार्थों के नशे के अलावा, कुछ दवाओं का भी नशे के रूप में उपयोग कर रहा है। इस विनाशकारी प्रवृत्ति को समाप्त करना अत्यंत आवश्यक है।
हम सभी जानते हैं कि धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और इससे कैंसर जैसी घातक बीमारियां होती हैं। यह चेतावनी सभी तंबाकू उत्पादों पर अनिवार्य रूप से लिखी होती है और लगभग सभी को इसका पता भी है। फिर भी, लोग इसका सेवन बड़े चाव से करते हैं। मनुष्य की यह कमजोरी है कि वह धीरे-धीरे इसके सेवन की शुरुआत करता है और कुछ ही समय में इसका आदी हो जाता है। एक बार आदत लग जाने के बाद, यह लत ही उसे मजबूर करती है।
सबसे बुरी स्थिति उन बच्चों की होती है जो बालिग नहीं होते। माता-पिता के रोजमर्रा के झगड़े या विवाद का उनके मन पर बुरा असर पड़ता है, जिससे वे मानसिक रूप से अन्य बच्चों की तुलना में पिछड़ जाते हैं। घर का अच्छा माहौल न मिलने से उनमें डर और संकोच बढ़ जाता है, वे हमेशा डरे-डरे रहते हैं और अपने सहपाठियों या शिक्षकों के सामने खुलकर बात नहीं कर पाते। एक अज्ञात डर के कारण वे पढ़ाई में भी पिछड़ जाते हैं। क्या हम, हमारा समाज और सरकारें कभी ऐसे बच्चों के दुःख-दर्द और मानवाधिकार से जुड़े विषयों पर ध्यान देती हैं?
शराब या अन्य मादक पदार्थ जीवन के लिए आवश्यक नहीं हैं, और किसी भी धर्म में इनका समर्थन नहीं किया गया है। स्वतंत्र भारत के संविधान के भाग 4 की धारा 47 में भी मादक पदार्थों का विरोध किया गया है, जिसमें कहा गया है कि सरकार मादक पेयों का प्रतिबंध करने का प्रयास करेगी।
वर्तमान में, देश के पांच राज्यों—गुजरात, नागालैंड, मिजोरम, केरल, और मणिपुर—और केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में कानूनन शराबबंदी लागू है। लेकिन केवल सरकारी नियमों से यह बुराई समाप्त नहीं हो सकती। शराब और अन्य मादक पदार्थों से उत्पन्न बुराइयों से निपटने के लिए जागरूकता का प्रसार आवश्यक है।
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